प.ऊ.शि.सं. के प्रयासों को और अधिक प्रगतिशील बनाने के लिए यह तय किया गया था कि उन प्रतिभाशाली बच्चों को जो सामाजिक,शैक्षिक तथा आर्थिक रूप से निर्धन पृष्ठभूमि से हैं तथा ग्रामीण जनजाति क्षेत्रों में रहते हैं, पूरे देश में प.ऊ.शि.सं. के निकट हैं,शिक्षित किया जाय।
प्रतिभा पोषित कार्यक्रम (प्र.पो.का.) सन् 1999 में प्रारम्भ किया गया। वर्तमान में 427 बच्चे जिसमें 203 बालिकाऍं हैं, लाभान्वित हुए हैं। 12 वी कक्षा तक नि:शुल्क शिक्षा देने के अलावा प्र.पो.का. में चयनित बच्चे मासिक छात्रवृति, वेशभूषा, पुस्तकें आदि के साथ चिकित्सा सुविधाएं भी प्राप्त करते हैं।प्र.पो.का. का वर्तमान समय में दस प.ऊ.शि.सं केन्द्रों में लागू है तथा इस वर्ष कुछ अन्य केन्द्रों में बढा़ये जाने की योजना है।.
जॉंच व मूल्याकन की सामान्य वृहत पध्दति के द्वारा प.ऊ.शि.सं. बच्चों में सीखने के अनुप्रयोग तथा विश्लेषणात्मक सोच की पध्दति को उत्साहित करती है। xi कक्षा के लिए समृध्द कार्यक्रम तथा 9वी कक्षा के लिए कनिष्ठ गणित तथा विज्ञान ओलम्पियाड शिक्षण कार्यक्रम, विज्ञान तथा दूसरे प्रकरण मेंअभिप्रेरण व्याख्यान, नैदानिक परीक्षण, ग्रीष्मकालीन अनुशिक्षण शिविर आदि कार्यक्रम प्रतिभाशाली तथा कमजोर छात्रों दोनों की
सहायता के लिए आयोजित किये जातें हैं।
शारीरिक शिक्षा, कम्प्यूटर शिक्षण, कला व विज्ञान प्रदर्शनी, प.ऊ.शि.सं. के वानस्पतिक क्षेत्र भ्रमण तथा कक्षा पुस्तकालय पध्दति आदि वृहत् पाठयक्रम के दूसरे महत्तवपूर्ण अंग हैं।
इसके अलावा प.ऊ.शि.सं. के 08 केन्द्रों में पूर्व-प्रेप तथा प्रेप कक्षाओं को प्रस्तावित करने से शैशव पूर्व शिक्षा में असाधारण- शिक्षा मिलती है।
शिक्षकों की संव्यावसायिक बढ़त को अनुमिति के द्वारा, नई भर्तियों के लिए अभिविन्यास कार्यक्रम व पुनश्चर्या पाठयक्रम,अंग्रेजी,गणित तथा विज्ञान के अध्यापकों के लिए कार्यशाला आदि के द्वारा प्रोत्साहित किया जाता है।शिक्षकों के लिए उन्हें अद्यतन करने तथा उनमें शिक्षण निपुणता लाने के लिए परीक्षांए भी आयोजित की जाती हैं।
प्रशासनिक स्तर पर प.ऊ.शि.सं. के पास प्रधानाचार्यों उप- प्रधानाचार्यों तथा प्रधानाध्यापकों का जाल तंत्र है जो सभी विद्यालयों के कुशल संचालन के उत्तरदायी हैं।
प्रत्येक वर्ष उनकी अभिक्रियाओं, विचारों को जोड़ने तथा भविष्य की योजनाओं को समन्वित करने के लिए प्रधानाचार्यों व प्रधानाध्यापकों के सम्मेलन आयोजित किये जाते हैं।
प,ऊ.शि.सं. के प्रत्येक कर्मचारी की पूरक कुशलता तथा प्रत्येक विद्यार्थी की चहॅमुखी प्रतिभा, उनके स्वप्नों को समझने में लंबी राह तक जाएगी। जैसा कि कथन है-उत्कृष्टता एक अस्थिर लक्ष्य है तथा प.ऊ.शि.सं. निरन्तर उन्नतशील है। साथ ही यह मूल्यों की दृढ़ नीव पर सफलता को प्राप्त करने की शपथ लेता है।
|